मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के आव्हान पर सभी किसान, प्रदेशभर में जगह जगह कर रहे पैरा दान…

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Last updated on December 2nd, 2022 at 12:25 pm

Chhattisgarh :  छत्तीसगढ़ के कई जिलों में किसानों द्वारा खरीफ  की फसल के बाद रबी की फसल के लिए पराली (पैरा) को जलाने से पर्यावरण एवं भूमि की उर्वरा शक्ति को नुकसान पहुंचता है। गौठानों में किसानों और समूह के सदस्यों की पहल से बड़ी संख्या में किसानों ने अपने ट्रैक्टरों की सहायता से गौठानों में पैरादान कर रहे हैं। धीरे-धीरे अब पैरादान करने वाले किसानों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।

 

 

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल किसानों से पैरा दान करने की अपील की है । जिससे प्रदेश के किसानों लगातार पैरा दान कर रहे हैं। मुख्यमंत्री किसानों से यह भी कहा है कि फसल कटाई के बाद पैरा न जलाएं। पैरादान करने से एक बड़ा लाभ यह भी है कि इससे प्रदूषण से मुक्ति मिलेगी और मवेशियों के लिए उचित मात्रा में चारे की व्यवस्था भी होगी। सारंगढ़-बिलाईगढ़, बलौदाबाजार,बिलासपुर, रायपुर, सूरजपुर, रायगढ़, अम्बिकापुर, समेत पूरे प्रदेश में किसान जोर शोर से पैरा दान कर रहे है ।

 

 

 

पैरादान के लिए महिलाएं भी अच्छी खासी रूचि दिखा रही है। पैरादान भरपूर होने से मवेशियों के लिए चारे की उपलब्धता बनी रहेगी। सुराजी ग्राम योजना के तहत निर्मित गोठानों में सालभर चारे की उपलब्धता सुनिश्चित करने की उद्देश्य से किसानों को पैरादान के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। खरीफ धान फसल की कटाई में कबाईन हार्वेस्टर का बहुतायत में उपयोग होता है। हार्वेस्टर से कटाई उपरांत पैरा खेत में फैल जाता है। खेत में फैले पैरे को किसान आमतौर पर समेटते नहीं है और खेतों में जला देते है। इससे पर्यावरण प्रदूषित होता है और पशुओं के लिए चारा भी नहीं उपलब्ध हो पाता है। इन्हीं कारणों को देखते हुए पैरादान के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। किसान, मजदूर समेत आम लोगों के साथ जनप्रतिनिधि भी इस अभियान में भाग ले रहे है। साथ ही लोगों को भी गौठान में पैरा दान करने के लिए जागरूक कर रहे है।

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