इस तरह धान की खेती करने से हो सकता है दोगुना अधिक उत्पादन..

इस Post को आप Share भी कर सकते हैं 👇

दंतेवाडा़ : जिला प्रशासन के मार्गदर्शन में किसानों को परंपरागत धान की खेती के स्थान पर श्री पद्धति से बोनी के लिए प्रेरित कर उत्पादन बढ़ाने का विशेष प्रयास किया जा रहा है। इस वर्ष कृषि विभाग द्वारा जिले भर में 600 हेक्टयर में श्री पद्धति से धान की बोनी का लक्ष्य रखा गया है इसके साथ ही 1200 हेक्टेयर रकबे में हरी खाद के उपयोग कर उत्पादकता को बढ़ाने हेतु विशेष प्रयास किये जा रहे है।

श्री पद्धति से धान की खेती 

कृषि विभाग से प्राप्त सूत्रों के अनुसार जिले के किसानों को  श्री पद्धति से  धान बोनी के लिए प्रोत्साहन देने के क्रम में अब तक 540 हेक्टेयर क्षेत्र में ’’श्री पद्धति’’ से धान की बोनी की जा चुकी है। और ’’श्री पद्धति’’ से खेती करने पर लगभग दो से ढाई गुना अधिक उत्पादन होगा। इसके लिए किसानों को लगातार प्रेरित किया जा रहा है। इस पद्धति से खेती के लिए जिले के विकासखंड गीदम, और दंतेवाड़ा क्षेत्र के किसानों द्वारा अधिक रूचि दिखाई जा रही है।

श्री पद्धति से किसानों को फायदा 

श्री पद्धति से बोआई करने पर न केवल पानी की कम आवश्यकता पड़ती है साथ ही  इस पद्धति से खेती करने में फसल में रोग भी लगने की संभावना भी कम रहती है। इसके अलावा श्री पद्धति के बोनी में उर्वरक और रासायनिक दवाओं, कीटनाशक का प्रयोग नहीं किया जाता है। इसकी जगह ’’ग्रीन मन्योर’’ (हरी खाद) का उपयोग किया गया है।

इसे भी पढ़ें -  छत्तीसगढ़ न्यूज़ : प्रधानमंत्री आवास योजना से वंचित 15.18 लाख पात्र परिवारों को जल्द मिलेगा आवास..

वर्तमान में बारिश की स्थिति जिले में अच्छी  होने के चलते किसानों को श्री पद्धति से खेती के लिए अनुकूल अवसर मिला है। इस संबंध में कृषि विभाग द्वारा किसानों को खेती की तैयारी से लेकर पौधों की रोपाई की पूरी जानकारी दी जा रही है। 

खरपतवार नियंत्रण के बारे में

साथ ही खरपतवार नियंत्रण के बारे में भी बताया जा रहा है। इस संबंध में जानकारी दी गई कि पिछले वर्ष तक जिले में महज एक सौ पचास हेक्टेयर में ही ’’श्री पद्धति’’ से किसान धान की खेती करते थे। जबकि इस वर्ष श्री पद्धति से धान की खेती का रकबा बढ़ाया गया है।

’’श्री पद्धति’’ बोआई के अन्य लाभ में कम बीज से अधिक उत्पादन भी शामिल है। इसके अलावा धान की खेती करने में लागत भी कम आती है। परंपरागत खेती में एक हेक्टेयर में जहां 50 से 60 किलो बीज की जरूरत पड़ती है, वहीं ’’श्री पद्धति’’ से धान की खेती में बीज जरूरत महज पांच से छह किलो की ही होती है। ऐसे में किसानों को कम बीज में अधिक उत्पादन मिलेगा।  ’’श्री पद्धति’’ से उत्पादन पर भी असर पड़ता है।

इसे भी पढ़े ताजा अप्डेट्स 

महतारी जतन योजना समेत अन्य योजनाओं के 1896 पात्र हितग्राहियों को पैसा जारी.. जानें विस्तार से

छत्तीसगढ़ न्यूज़ : तेंदूपत्ता 36 हजार से अधिक संग्राहकों को 12 करोड़ रुपए से ज्यादा पारिश्रमिक राशि का हो रहा भुगतान..

इसे भी पढ़ें -  फरवरी में छत्तीसगढ़ बजट सत्र, महतारी वंदन योजना व 3100 रु धान खरीदी योजनाओं पर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय कर सकते हैं बड़ा ऐलान! 

Google news पर पढ़े योजनाओं की अप्डेट्स

“its chhattisgarh छत्तीसगढ़ विभिन्न योजनाओं की जानकारी व अप्डेट्स आगे भी आप लोगों तक लगातार हर रोज पहुंचाते रहेंगे, हमारे Youtube चैनल, Whatsapp चैनल, Telegram चैनल पर भी रोजना अप्डेट्स मिलते रहेंगे, अभी नीचे के दिये बटन से आप भी जुड़ सकते हैं।”


इस Post को आप Share भी कर सकते हैं 👇
error: Content is protected !!