इस साल ज्यादा होगा धान का उत्पादन.. इन तरीकों से होगा किसानों को फायदा जाने कैसे ? धान उत्पादन बढ़ाने के श्री विधि और प्रबंधन..

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धान की खेती अधिक उत्पादन : इस साल धान की अधिक पैदावार आप कैसे कर सकते हैं ? जानेंगे किसानों को धान की सीधी बुवाई या रोपाई किन तरीकों को अपनाना चाहिए जिससे कि किसानों को धान का अधिक उत्पादन हो सके और किसानों को फायदा हो सके। देश के ज्यादातर किसान भाई चावल की खेती करते हैं यानी कि अपने खेतों पर धान की फसल लगते हैं। खासकर छत्तीसगढ़ में यहां के किसान धान का उत्पादन अधिक करते हैं इसलिए छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा भी कहा जाता है, तो आज हम कुछ तरीकों को जानेंगे की किस तरह से हम धान की उन्नत खेती कर सकते हैं जिससे कि हमारे किसान भाई धान की खेती करके अधिक आमदनी कर सके।

बीज का सही चयन कैसे करें ? 

धान की अच्छी पैदावार लेने के लिए बीच का चयन बहुत जरूरी है आपको पता होना चाहिए कि आप कौन से बीज लगा रहे हैं इसका आमदनी इसका उत्पादन कैसा होगा या फिर पिछली बार कौन से किसान ने इस बीच को लगाया था उनका फसल का उत्पादन कैसा हुआ था। इस पर भी ध्यान देना जरूरी है। 

तो सबसे पहले जब आप बीच का चयन करने जाएंगे तो यह सुनिश्चित कर ले कि जो बीज आप ले रहे हैं वह आपके जमीन आपके जलवायु आपके क्षेत्र के अनुसार ठीक है या नहीं। धान की किस्म को क्षेत्र के हिसाब से विकसित किया जाता है। इसलिए किसानों को चाहिए कि वे अपने क्षेत्र और प्रदेश के अनुसार किस्म का चयन करें तभी अच्छी पैदावार मिलेगी। 

बीजोपचार कैसे करें ? 

अगर आप घर के ही रखे बीच को अपने खेत पर लगा रहे हैं तो उसको बीज उपचार करना जरूरी है। किसान साल भर से बीच को सुरक्षित अपने घर पर रखते हैं और जब बुवाई का वक्त आता है तो इस बीच को खेत पर बोने लगते हैं लेकिन इससे पहले बीजों को बीज उपचार करना जरूरी है।

बीजोपचार के लिए – एक रिपोर्ट्स अनुसार फफूंदनाशी से बीजोपचार प्रति किलो बीज को 3 ग्राम बैविस्टिन फफूंदनाशक से उपचारित कर सकते हैं। फफूंदनाशक का उपयोग पाउडर के रूप में धुले हुए बीज में मिलाकर कर सकते हैं या फिर 3 ग्राम प्रति किलो बीज को पानी में मिलाकर उपचारित कर सकते हैं। 

याद रखें अगर आप बीजोपचार करने जा रहे हैं तो अपने क्षेत्र के कृषि विभाग या कृषि विशेषज्ञ के साथ या फिर अपने ग्रामसेवक को इस विषय में एक बार जरूर से परामर्श लीजिए। की बीजोपचार के लिए कौन-कौन सी दवाई का उपयोग किया जा सकता है और उसको किस तरह से बीजों को उपचारित किया जा सकता है इस विषय पर जरूर सलाह ले। 

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श्री विधि का उपयोग करें क्या है श्री विधि ? 

श्री विधि को धान की रोपाई के लिए कम लागत में अधिक पैदावार या फिर कम खर्चे में अधिक पैदावार या फिर कम समय में अधिक फायदा के नाम से जाना जाता है। आपने कई बार श्री विधि नाम सुना होगा और किसान इस विधि को बढ़-चढ़कर अपना भी रहे हैं क्योंकि इस विधि का फायदा यह है कि किसान इससे अधिक फायदा कमा सकता है। आईए जानते हैं श्री विधि के बारे में। 

क्या है श्री विधि – धान की बुआई करने के लिए रस्सी से नापकर खेत में पंक्ति बना ली जाती है और उसी के नीचे बीज डाला जाता है। श्री विधि से रोपाई करते समय एक जगह पर एक से दो पौधों की ही रोपाई करनी चाहिए। पौधे से पौधे और कतार से कतार के बीच की दूरी 25 सेमी. रखनी चाहिए। 

श्री विधि से फायदा – एक अनुमान के मुताबिक अगर 15 बीघा जमीन में 2 से ढाई लाख रुपये की कमाई हो जाती है। कम लागत, कम श्रम और ज्यादा कमाई के कारण लोग श्री विधि से धान की बुवाई कर रहे हैं। श्री विधि से खेती में बीज बहुत कम लगता है, जानकारों की माने तो इसमें एक एकड़ जमीन में 2 किलो बीज पर्याप्त है। 

धान की फसल ज्यादा कल्ले लाने के लिए क्या करें ? 

धान की अधिक फसल लेने के लिए कई सारे चीजों के ऊपर निर्भर करता है उनमें से एक कल्ले आना भी जरूरी है अगर ज्यादा कल्ले आएंगे तो ज्यादा फल आएंगे और इस तरह से किसानों का धान का उत्पादन भी बढ़ेगा तो कल्ले लाने के लिए आप क्या कर सकते हैं। 

ज्यादा कल्ले लाने के लिए क्या करें – जानकारों की माने तो धान की रोपाई के 20-30 दिन बाद कल्ले फूटने लगते हैं। इस दौरान प्रति एकड़ 20 किलो नाइट्रोजन और 10 किलो जिंक की मात्रा देना चाहिए। जिंक की मात्रा आप धान की रोपाई के समय भी दे सकते हैं। इससे कल्ले अधिक मिलेंगे। इस दौरान धान की खेत में ज्यादा पानी न रखें।

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धान की फसल से कीटों से कैसे करें फसलों की सुरक्षा

किसान कड़ी मेहनत धूप बरसात में पसीना बहाकर फसल लगाते है इतना मेहनत करने के बाद अक्सर कीटों से किसान परेशान हो जाते हैं। इसके लिए एक तरीका बताया जाता है कि धान की रोपाई के 15-20 दिनों बाद खेत में पाटा चलाना चाहिए। ऐसा करने से कीड़े पानी में गिरते ही मर जाते हैं। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि एक बार पाटा लगाने के बाद दूसरी बार उल्टी दिशा में पाटा लगाएं। जब भी पाटा लगाएं खेत में पर्याप्त मात्रा में पानी होना चाहिए। 

ज्यादा उत्पादन के लिए मिट्टी की जांच कराएं 

धान की फसल का अधिक उत्पादन लेने के लिए ज्यादा पैदावार लेने के लिए खाद बीज के साथ-साथ मिट्टी का भी सही होना जरूरी है। आपको पता होना चाहिए कि आपका कौन सा मिट्टी है और उसमें किस तरह की फसल ज्यादा पैदावार दे सकता है, किस किस्म के धान उसमें अच्छी उत्पादन दे सकता है इसका भी जानकारी आपको होना चाहिए। इसीलिए मिट्टी के जांच जरूर करवाइए। मिट्टी की जांच के बाद ही पता चलेगा कि उर्वरकों का कितना उपयोग किया जाना है। इसके लिए किसान अपने नजदीकी कृषि सलाहकार या फसल विशेषज्ञ से संपर्क करें। 

किसानों के धान की अधिक उत्पादन के लिए खाद प्रबंधन 

अक्सर यह देखा जाता है कि किसान भाई कोई सा भी खाद लाकर सीधे फसल पर छिड़क देते है इससे फसलों को भी नुकसान होता है और किसानों को भी आर्थिक नुकसान होता है। किसानों को यह पता होना चाहिए कि उनकी धान की अभी क्या स्थिति है और अभी कितने मात्रा में कौन सा खाद फसल पर छिड़काव करना चाहिए। 

खाद और उर्वरको का प्रयोग – धान की अच्छी उपज के लिए खेत में आखिरी जुताई के समय 100 से 150 कुंतल पर हेक्टेयर गोबर की सड़ी खाद खेत में मिलाते है तथा उर्वरक में 120 किलोग्राम नत्रजन, 60 किलोग्राम फास्फोरस एवम 60 किलोग्राम पोटाश तत्व के रूप में प्रयोग करते है। नत्रजन की आधी मात्रा फास्फोरस तथा पोटाश की पूरी मात्रा खेत तैयार करते समय देते है तथा आधी मात्रा नत्रजन की टापड्रेसिंग के रूप में देनी चाहिए।

जैविक उर्वरक – जैविक उर्वरक का उपयोग कर जमीन की उर्वरा शक्ति या मिट्टी की गुणवत्ता और स्वास्थ्य को काफी हद तक बढ़ाया जा सकता है। इसलिए हर साल खेतों में जैविक उर्वरक का उपयोग करें। 

सिंचाई प्रबंधन – धान की फसल को फसलों में सबसे अधिक पानी की आवश्यकता पड़ती है फसल को कुछ विशेष अवस्थाओं में रोपाई के बाद एक सप्ताह तक कल्ले फूटने वाली, बाली निकलने, फूल निकलने तथा दाना भरते समय खेत में पानी बना रहना अति आवश्यक है।

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धान की फसल के लिए खरपतवार का नियंत्रण कैसे करें ?

धान की खेती के लिए खरपतवार का नियंत्रण करना भी जरूरी है खरपतवार किसानों का एक बड़ा समस्या है इस समस्या से सभी किसान गुजरते हैं। हालांकि आजकल खरपतवार नियंत्रण के लिए आधुनिक कई तरह के छिड़काव करने की रासायनिक दवाइयां आ रही है जिससे किसान कम समय पर ज्यादा से ज्यादा धान का खरपतवार नियंत्रण भी कर सकते हैं। लेकिन इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि खरपतवार नियंत्रण समय के अनुसार कीजिएगा। अगर समय बीत जाता है उसके बाद अगर आप खरपतवार के लिए दवाई छिड़काव कर रही है तो उसे स्थिति पर वह काम नहीं आता, तो इसलिए खरपतवार नियंत्रण जरूरी है साथ ही समय के साथ करें तो किसानों के लिए फायदा हो सकता है।

नोट :- किसान भाइयों धान की अधिक पैदावार लेने के लिए जितने भी टिप्स बताया गया है वह सब इंटरनेट पर रिसर्च करके आप लोगों के साथ जानकारियां शेयर किया गया है। धान की अधिक के पैदावार लेने की आप अपने क्षेत्र के कृषि विशेषज्ञ कृषि विभाग से संपर्क कीजिएगा। की किस तरह से आपका क्षेत्र में कौन सा धान का किस्म लगाना चाहिए आपके क्षेत्र के जलवायु के अनुसार मौसम के अनुसार धान लगाने के लिए कौन-कौन से रसायनिक खाद का उपयोग करना चाहिए कौन-कौन से खरपतवार नियंत्रण का उपयोग करना चाहिए सिंचाई प्रबंधन कैसी होनी चाहिए इस तरह के जानकारी आप अपने स्थानीय क्षेत्र के कृषि सलाहकार या कृषि विभाग से जरुर लीजिएगा। उसके बाद आगे की विधि आप अपनाइएगा तो इस तरह से आप अपने धान का उत्पादन अधिक ले सकते हैं और धान की फसल से अधिक पैदावार कर अधिक आमदनी अर्जित कर सकते हैं। 

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